20 जुलाई 2011
लंदन। क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स मैदान पर गुरुवार से भारत और इंग्लैंड की क्रिकेट टीमों के बीच खेले जाने वाले ऐतिहासिक टेस्ट मैच की बिसात बिछ गई है। तमाम तरह के वाकयुद्ध के बाद दोनों टीमें आपसी 100वें और टेस्ट इतिहास के इस 2000वें मुकाबले के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
सर्वोच्च वरीयता प्राप्त टेस्ट टीम के तौर पर महेंद्र सिंह धोनी की टीम का पलड़ा थोड़ा भारी है लेकिन घरेलू हालात में खेल रहे होने के कारण इंग्लिश टीम इस बढ़त को धता बताते हुए पहला टेस्ट अपने नाम कर सकती है। यह मैच भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के लिए भी खास है क्योंकि वह लॉर्ड्स में अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर का 100वां शतक पूरा कर सकते हैं।
यही नहीं, यह मुकाबला भारत के भरोसेमंद बल्लेबाज राहुल द्रविड़ के लिए भी खास है क्योंकि द्रविड़ ने 15 वर्ष पहले इसी मैदान पर अपने करियर की शुरुआत करते हुए 96 रनो की शानदार पारी खेली थी। आज 15 वर्ष बाद द्रविड़ के लिए कुछ साबित करने को नहीं रह गया है लेकिन अपनी टीम का वरीयता क्रम बनाए रखने के लिए उन्हें बहुत अहम भूमिका निभानी होगी।
क्रिकेट का मक्का भारतीय टीम के लिए भाग्यशाली नहीं रहा है। भारत ने लॉर्ड्स में अब तक कुल 15 मुकाबले खेले हैं। इनमें से 10 में उसे हार मिली है, जबकि एक में उसे जीत नसीब हुई है। 1986 की सर्दियों में जब भारतीय टीम ने कपिल देव के नेतृत्व में इंग्लैंड दौरा किया था, तब पहली पारी में दिलीप वेंगसरकर (126) के शानदार शतक और पहली पारी में चेतन शर्मा (64/5)तथा दूसरी पारी में कपिल (41/4) की उम्दा गेंदबाजी की बदौलत भारत ने यह मैच पांच विकेट से अपने नाम किया था।
इसमें कोई शक नहीं कि हालिया प्रदर्शन के लिहाज से भारतीय टीम का पलड़ा भारी है लेकिन वीरेंद्र सहवाग की गैरमौजूदगी उसे भारी पड़ सकती है क्योंकि अब पारी की शुरुआत की जिम्मेदारी गौतम गम्भीर के अलावा अभिनव मुकुंद पर होगी, जिन्हें इंग्लैंड में खेलने का कोई अनुभव नहीं है। गम्भीर ने हर मुकाम पर खुद को साबित किया है लेकिन मुकुंद के लिए यह श्रृंखला अग्नि परीक्षा के समान है।
इसके बाद के बल्लेबाजी क्रम को लेकर भारत को चिंता करने की जरूरत नहीं क्योंकि आगे सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वी.वी.एस लक्ष्मण, सुरेश रैना और महेंद्र सिंह धौनी जैसे सिद्धहस्त बल्लेबाज हैं। लक्ष्मण और द्रविड़ ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने बल्ले से कमाल किया है लेकिन तेंदुलकर पर कम अभ्यास का असर पड़ सकता है।
वैसे तेंदुलकर जैसे बल्लेबाज को अपनी पारी को संवारने के लिए ज्यादा वक्त की जरूरत नहीं पड़ती लेकिन इस मैच में उन पर खासतौर पर दबाव होगा क्योंकि करोड़ों भारतीयों को उनके 100वें शतक का इंतजार होगा जबकि इंग्लिश टीम उन्हें ऐसा नहीं करने देने की तैयारी कर चुकी है।
गेंदबाजी में भारत के लिए जहीर खान तुरुप का पत्ता साबित होंगे क्योंकि जहीर के पास इंग्लिश हालात में गेंदबाजी कराने का अच्छा अनुभव है। यही नहीं, जहीर इंग्लैंड में खासे सफल रहे हैं। उन्हें शांताकुमारन श्रीसंत और मुनाफ पटेल से अच्छा साथ मिलेगा क्योंकि दोनों स्विंग के साथ-साथ गेंदों में विविधिता ला सकते हैं।
स्पिन विभाग में जाहिर तौर पर हरभजन सिंह से काफी उम्मीद होगी। कैरेबियाई दौरे में हरभजन डोमिनिका टेस्ट में ही कमाल दिखा सके थे। दूसरे छोर पर उन्हें अमित मिश्रा का साथ मिल सकता है लेकिन ऐसा तभी होगा, जब टीम दो तेज गेंदबाज और दो स्पिनरों के साथ खेलेगी।
भारत की तमाम तैयारियों पर मेजबान टीम की पैनी नजर है। समरसेट के लिए खेलते हुए उसके कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस अभ्यास मैच के माध्यम से अपना खोया फार्म और आत्मविश्वास हासिल कर चुके हैं। इसके अलावा एलिस्टर कुक, जोनाथन ट्रॉट, इयान बेल, केविन पीटरसन और मैट प्रायर अच्छी लय में हैं। पीटरसन भारत के लिए खतरनाक हो सकते हैं क्योंकि वह ऐसे बल्लेबाज हैं, जो कभी भी मैच का पासा पलट सकते हैं।
इंग्लिश टीम की गेंदबाजी भारत के बेहतर है। यह जानकार भी मानते हैं और श्रीलंका के साथ खेली गई टेस्ट श्रृंखला के बाद आम लोग भी मानने लगे हैं। जेम्स एंडरसन, टिम ब्रेस्नन और स्टुअर्ट ब्रॉड की 'लम्बी' तिकड़ी भारतीय बल्लेबाजों को अपनी शार्ट पिच गेंदों से परेशान कर सकती है जबकि स्पिन कला में माहिर ग्रीम स्वान मनोवैज्ञानिक दबाव का फायदा उठाकर अपनी टीम का काम आसान कर सकते हैं।
कुल मिलाकर यह श्रृंखला यह साबित करेगी कि भारतीय टीम असल में शीर्ष वरीय टेस्ट टीम कहलाने के लिए लायक है या नहीं क्योकि इंग्लिश टीम भले ही वरीयता क्रम में तीसरे स्थान पर हो लेकिन एशेज में आस्ट्रेलिया को उसी के घर में हराने के बाद उसकी काबिलियत के डंके हर ओर बज रहे हैं। यह सब मानते हैं कि इंग्लैंड की टेस्ट टीम बेहतरीन है।
इस अहम श्रृंखला की शुरुआत के लिए लॉर्ड्स से बेहतर स्थान और कोई नहीं हो सकता था क्योंकि यह मैदान दोनों टीमें के बीच कई ऐतिहासिक मुकाबलों का गवाह रहा है। टेस्ट इतिहास का 200वां टेस्ट होने के कारण इस मुकाबलो को और भी तरजीह दी जा रही है और इसे देखने के लिए दुनिया भर के क्रिकेट विशेषज्ञ और पूर्व कप्तान लंडन पहुंच चुके हैं।
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